युरेनियम एक आश्चर्यजनक गुणों वाली धातु है, जो
मानव जाति के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई है l इससे एक प्रकार की किरणें निकलती
रहती हैं, जो मानव जाति के लिए बहुत ही उपयोगी हैं l इन किरणों को रेडियो किरणें
(Radio-active rays) कहते हैं l यही एक ऐसी धातु है, जिसको प्रयोग में लाकर मनुष्य
ने परमाणु बम (Bomb) का निर्माण किया है l
युरेनियम धातु को खोज सन 1789 में मार्टिन
हेनरिक क्लाप्रौथ (Martin Heinrick Klaproth) नामक वैज्ञानिक ने पिच ब्लेंडे
(Pitch Blende) नामक खनिज से की थी l उन्होंने इसका नाम युरेनिट (Uranit) रखा,
लेकिन एक वर्ष बाद क्लाप्रौथ महोदय ने इसका नाम बादल का युरेनस (Uranus) ग्रह के
नाम पर युरेनियम (uranium) रख दिया l 18 वीं सदी के अंत तक इस तत्व के कई यौगिक
वैज्ञानिक लोग बना चुके थे l 1896 में हैनरी बैकरल (Henry Bacqerel) ने युरेनियम
से रेडियो एक्टीविटी (Radio-Activity) का पता लगाया l
युरेनियम एक सफेद चमकदार रंग की धातु है l
लेकिन वायुमंडल के सम्पर्क में आने से इसका रंग काला पड़ जाता है l यह प्रकृति में
मिलने वाली सबसे भारी धातु है l इसके एक क्यूविक फुट (Cubic foot) टुकड़े का भार
लगभग आधा टन होता है l शुरू-शुरू में युरेनियम का प्रयोग रेशम और पोर्सलीन
(Porcelain) के बर्तनों पर रंगाई करने के लिए होता था l
युरेनियम के दो अदभुत गुणों के कारण इसकी
उपयोगिता आज संसार में बहुत बढ़ गई है l युरेनियम कि नाभिकों से निकलने वाली रेडियो
किरणें हमारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुई हैं l इन किरणों को कृषि, उधोग,
जीवविज्ञान और चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है l युरेनियम का दूसरा उपयोग परमाणु
ऊर्जा के क्षेत्र में हुआ है l सन 1938 में युरेनियम के परमाणुओं पर न्यूतान
(Neutrons) की बौछार करके नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) की खोज की गई l
नाभिकीय विखंडन वह प्रक्रिया है, जिसमें युरेनियम-235 के नाभिक पर न्युतोनों की
बौछार करके दो हिस्सों में तोड़ा जाता है l इसके फलस्वरूप बहुत अधिक ऊर्जा पैदा
होती है l नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया को प्रयोग में लाकर सन 1945 में युरेनियम
से परमाणु बम बनाया गया l इस परमाणु बम के हिरोशिमा नगर पर डाला गया l सदियों से
बसने वाला शहर पलभर में तहस-नहस हो गया l
आज नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया को ऊर्जा
उत्पादन के लिए लगभग सभी देश प्रयोग में ला रहे हैं l आप को यह जानकर आश्चर्य,होगा
कि युरेनियम के एक पौंड से इतनी ऊर्जा पैदा हो सकती है, जितनी कि 30 लाख पौंड
कोचले को जलाकर पैदा होती है l इसलिए युरेनियम के 235 द्रव्यमान संख्ला वाले
आइसोटोप (Isotope) को ऊर्जा उत्पादन के लिए परमाणु भट्टियों में प्रयोग करते हैं l
परमाणु भट्टियों से पैदा हुई ऊष्मा से पानी को गर्म करके भाप बनाई जाती है l इस
भाप से टरबाइन चलती हैं l जिसके फलस्वरूप बिजली पैदा की जाती है युरेनियम का उपयोग
x – किरणों (x-rays) और गामा किरणों (v-rays) को अवशोषित करने में भी किया जाता है
l
युरेनियम पृथ्वी की पपड़ी में संयुक्त अवस्था
में मिलता हैं l धरती की पपड़ी के 10 लाख भागों में चार युरेनियम के होते हैं l
चट्टानों में भी युरेनियम यौगिक के रूप में मिलता है l पिच ब्लैंड युरेनियम का ऐसा
अयस्क (Ore) है, जिसमें दूसरे अयस्कों की तुलना में अधिक युरेनियम होता है l
अफ्रीका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, चेकोस्लोवाकिया, अमेरिका, पूर्वी अफ्रीका, इंगलैंड
तथा भारत में युरेनियम धातु के अयस्क मिलते हैं, जिनसे युरेनियम प्राप्त की जाती
हैं l .................
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