सूर्य का प्रकाश जो देखने में सफेद लगता है , वास्तव में सात रंगों से
मिलकर बना होता है , सफेद देखने वाले सूर्य के प्रकाश के रंगों को अलग-अलग करने का
अध्ययन सवॅप्रथम सन् 1704 में भैतिकी के जन्मदाता सर आइज़क न्यूटन ने किया था l
उन्होंने एक कांच के प्रिज़्म की सहायता से यह दिखाया कि सूर्य के प्रकाश में
बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पिला, नारंगी और लाल रंग होते हैं l प्रश्न उठता है कि
प्रिज़्म क्या है और यह सूर्य के सफेद प्रकाश को सात रंगों में कैसे बांट देता है ?
प्रिज़्म पारदर्शी कांच का एक तिकोना होता है l इसके पांच ताल होते है,
निचे और उपर के तल त्रियुजाकार होते हैं और शेष तीन तल आयताकार होते हैं l यदि हम
प्रिज़्म को आंख के पास रखकर किसी वस्तु को देखें, तो वह वस्तु रंगबिरंगी दिखाई
देती है l जब प्रकाश कि कोई किरण प्रिज़्म में से गुजरती है, तो वह अपने पथ से
बिचलित होकर प्रिज़्म के आधार कि और झुक जाती है l प्रकाश के एक माध्यम से दूसरे
माध्यम में जाने और अपने रास्ते से विचलित हो जाने के गुण को प्रकाश का अपवर्तन
(Refraction of Light) कहते हैं l जेसा कि हम बता चुके हैं कि प्रकाश कि किरण सात
रंगों का समूह होती है और इसमें उपस्थित रंग प्रिज़्म के बाहर अपने रास्ते से अलग-अलग
कोणों पर विचलित होते हैं, इसलिए प्रिज़्म से बहार निकले पर सातों रंग अलग-अलग हो
जाता हैं l इन रंगों की इस पट्टी को ही वर्णक्रम या स्पैक्ट्रम कहते हैं l अपने पथ
से लाल रंग कि किरण सबसे कम बिचलित होती हैं l और बैंगनी रंग कि किरण सबसे अधिक
विचलित होती है l इसलिए वर्णक्रम में लाल रंग सबसे उपर होता और बैंगनी रंग सबसे
नीचे l बीच में अन्य रंग होते हैं l सफेद रंग के प्रकाश का सात रंगों में अलग-अलग
हो जाना वर्ण विक्षेपण कहलाता है l यही सात रंग इन्द्रधनुष में होते हैं l इस
प्रकार हम देखते हैं कि प्रिज़्म सफेद प्रकाश के सातों रंगों को अलग-अलग करके
इन्द्रधनुषीय बना देता है l........
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