गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

Rotation of the Earth / पृथ्वी का घूमना

     सत्रहवी शताव्दी तक लोगों का विशबास था कि पृथ्वी समस्त ब्रहमांड का केंद्र है और सूर्य, चन्द्रमा व तारे सभी धरती को परिक्रमा करते हैं l इस धरना का कारण था पृथ्वी का स्थिर रहना और दुसरे ग्रह नक्षत्रों का बदलना या घूमना l सन 1545 में पोलैंड के खगोलशास्त्री (Astronomer) कॉपरनियूस (Copernieus) ने पहली वर यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है l आम लोगों को इस बात का विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि उनका कहना था कि यदि पृथ्वी सूर्य के चारों और घुमती है, तो इस पर स्थित हम, पहाड़, समुंद्र, जंगल आदि क्यों घूमते l लोगों की यह धारणा गलत सिद्ध हो चुकी है l आज सरे संसार में इस बात को मन जाता है कि पृथ्वी अपने जन्म से ही लगातार दो प्रकार की गतियाँ कर रही है l पहली गति यह सूर्य के चारों ओर करती है और दूसरी अपनी धुरी को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में 365.3422 दिन लगते हैं, जिसे हम एक वर्ष कहते हैं l पृथ्वी को अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में चौबीस घंटे लगते हैं l
     अब प्रश्न उठता है कि यदि पृथ्वी घुमती है, तो हमें पता क्यों नहीं चलता ? उसका कारण यह है कि गुरुत्वाकर्षण के कारण हम तथा दूसरी वस्तुएं, यहाँ तक कि हवा भी पृथ्वी के साथ ही घुमती रहती है l इसे आप इस प्रकार समझ सकते हैं l यदि आप एक गेंद पर चींटी रखकर गेंद को घुमाएँ तो चींटी को यह पता नहीं चलेगा कि गेंद घूम रही है l ठीक इसी प्रकार धरती की सतह पर हम भी विराजमान हैं और हमें धरती के घुमने का पता नहीं चलता l अब पूछेंगे कि पृथ्वी के घुमने की बात हम कैसे मन लें ?

     पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घुमने और अपनी धुरी पर घुमने के कई प्रमाण हैं l प्रथ्वी के सूर्य के चारों और घुमने के कारण ही अलग-अलग मौसम होते हैं l पृथ्वी के अपनी धुरी पर घुमने के कारण रात और दिन होते हैं l पृथ्वी का जो हिस्सा सूरज के सामने आ जाता है, उस पर दिन हो जाता है और पीछे वाले हिस्से पर रात रहती है l यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर न घुमती होती, तो एक ही हिस्से पर हमेशा दिन रहता और दुसरे हिस्से पर हमेशा रात l पृथ्वी अपनी धुरी पर लम्बवत (vertical) से 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है l इससे प्रत्येक धुव्र छ: महीने तक सूर्य के सामने रहता है और छ: महीने तक सूर्य से दूर l इसलिए धुवों पर छ: महीने का दिन और छ: महीने की रात होती है l इन सब प्रमाणों से सिद्ध होता है कि पृथ्वी सूर्य के चारों और अपनी धुरी पर सतत रूप से घुमती रहती है l .............

21 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. पृथ्वी तथा अन्य ग्रह के घूमने का कारण सूर्य का विशाल गुरुत्वाकर्षण बल है।

      हटाएं
    2. Ravi yar प्रथ्वी के घूमने pa भी तारे हमे एक ही स्थान पर क्यू दिखाई देते हैं

      हटाएं
    3. Firstly indian astronomer Aryabhatt say's that the sun is in centre of the solar system and earth and other planets revolves around it.So,i think it's credit only goes to aryabhatt not the copernicus.

      हटाएं
  2. It's right

    सत्रहवी शताव्दी तक लोगों का विशबास था कि पृथ्वी समस्त ब्रहमांड का केंद्र है और सूर्य, चन्द्रमा व तारे सभी धरती को परिक्रमा करते हैं l इस धरना का कारण था पृथ्वी का स्थिर रहना और दुसरे ग्रह नक्षत्रों का बदलना या घूमना l सन 1545 में पोलैंड के खगोलशास्त्री (Astronomer) कॉपरनियूस (Copernieus) ने पहली वर यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है l आम लोगों को इस बात का विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि उनका कहना था कि यदि पृथ्वी सूर्य के चारों और घुमती है, तो इस पर स्थित हम, पहाड़, समुंद्र, जंगल आदि क्यों घूमते l लोगों की यह धारणा गलत सिद्ध हो चुकी है l आज सरे संसार में इस बात को मन जाता है कि पृथ्वी अपने जन्म से ही लगातार दो प्रकार की गतियाँ कर रही है l पहली गति यह सूर्य के चारों ओर करती है और दूसरी अपनी धुरी को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में 365.3422 दिन लगते हैं, जिसे हम एक वर्ष कहते हैं l पृथ्वी को अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में चौबीस घंटे लगते हैं l
    अब प्रश्न उठता है कि यदि पृथ्वी घुमती है, तो हमें पता क्यों नहीं चलता ? उसका कारण यह है कि गुरुत्वाकर्षण के कारण हम तथा दूसरी वस्तुएं, यहाँ तक कि हवा भी पृथ्वी के साथ ही घुमती रहती है l इसे आप इस प्रकार समझ सकते हैं l यदि आप एक गेंद पर चींटी रखकर गेंद को घुमाएँ तो चींटी को यह पता नहीं चलेगा कि गेंद घूम रही है l ठीक इसी प्रकार धरती की सतह पर हम भी विराजमान हैं और हमें धरती के घुमने का पता नहीं चलता l अब पूछेंगे कि पृथ्वी के घुमने की बात हम कैसे मन लें ?

    पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घुमने और अपनी धुरी पर घुमने के कई प्रमाण हैं l प्रथ्वी के सूर्य के चारों और घुमने के कारण ही अलग-अलग मौसम होते हैं l पृथ्वी के अपनी धुरी पर घुमने के कारण रात और दिन होते हैं l पृथ्वी का जो हिस्सा सूरज के सामने आ जाता है, उस पर दिन हो जाता है और पीछे वाले हिस्से पर रात रहती है l यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर न घुमती होती, तो एक ही हिस्से पर हमेशा दिन रहता और दुसरे हिस्से पर हमेशा रात l पृथ्वी अपनी धुरी पर लम्बवत (vertical) से 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है l इससे प्रत्येक धुव्र छ: महीने तक सूर्य के सामने रहता है और छ: महीने तक सूर्य से दूर l इसलिए धुवों पर छ: महीने का दिन और छ: महीने की रात होती है l इन सब प्रमाणों से सिद्ध होता है कि पृथ्वी सूर्य के चारों और अपनी धुरी पर सतत रूप से घुमती रहती है


    Lalit Kumar 9999373071

    जवाब देंहटाएं
  3. Bhayya ji jara pirthvi ki speed batana aur suraj kitni dur hai batao

    जवाब देंहटाएं
  4. पृथ्वी जब सूर्य का एक चक्कर पूरा करती है तो उसे सिर्फ वर्ष कहते है उसके अलावा कुछ नही

    जवाब देंहटाएं
  5. 1 साल में 365 दिन 6 घंटा औऱ कूछ मीनट औऱ सेकण्ड लगता हैं। वो मीनट औऱ सेकण्ड कितना है?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. 1 साल मे 365 दिन 5 घन्टे 48 मिनट ओर 46 सेकन्ड लगते है

      हटाएं
  6. पृथ्वी गुमने पर जगह क्यों नहीं बदलती

    जवाब देंहटाएं
  7. आसमान के तारे एक जगह से देखने पर जिस जगह जैसे और जो दिखते
    है फिर कितनी भी दूर जाकर देखने पर उसी जगह पर वैसे और वही क्यूँ
    दिखते है

    जवाब देंहटाएं
  8. Kyoki prithvi itni badi hai ki ham kshitiz ko apne esthan par khade hokar nhi dekh sakte...matlab,hamare samne upasthit partayak vastu hamare sath,saman gati se,saman samay m ghoom rahi hai..#

    जवाब देंहटाएं
  9. मुझे समझ में नहीं आया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर क्यों घूमती है

    जवाब देंहटाएं

AYURVEDA / आयुर्वेद

  आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप में ऐतिहासिक जड़ों के साथ एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद का सिद्धांत और व्यवहार छद्म वैज्ञानिक है। भ...