यदि आप किसी व्यक्ति की आंखों पर पट्टी बांध
दो और खुले मैदान में उसे ले जाकर उसे सीधी दिशा में चलने के लिए कहो, तो तुम्हें
यह देखकर आश्चर्य होगा कि बहुत प्रयत्न करने के बावजूद भी वह व्यक्ति सीधी दिशा
में नहीं चल पता, बल्कि थोड़ी देर में एक गोल चक्कर काट कर उसी जगह आ जाता है, जहां
से वह चला था l बहुत से लोग गहरी धुंध, कोहरे या अंधकार में खो जाते हैं और रास्ता
न दिखाई देने पर केबल कल्पना के सहारे सीधी दिशा में चलने की कोशिश करते हैं, वे
थोड़ी ही देर में वहा आ जाते हैं, जहां से वे चले थे l क्या आप इस आश्चर्यजनक सत्य
का रहस्य जानते है ?
इस बात को, कि आंखों पर पट्टी बांधकर हम सीधे
क्यों नहीं चल पते, निम्न प्रकार से समझा जा सकता है l हमारे शरीर कि रचना कुछ
असमान व् विषभ (Asymmetrical) ढंग से हुई है l इसका अर्थ यह है कि हमारे शरीर के
दाएं और बाएं हिस्से पूर्णरूप से संतुलित
नहीं हैं l जैसे हमारा ह्रदय बायीं और स्थित है, जबकि यकृत दायीं ओर स्थित है l
हमारे शरीर की हद्दियों का ढांचा भी दायीं और बायीं ओर समरूप नहीं है l हमारे शरीर
में दायीं ओर के हाथ-पैर और दुसरे हिस्से,बायीं ओर के हाथ-पैर और दुसरे हिस्सों की
तुलना में थोड़े से अधिक भारी हैं l शरीर के दोनों पक्षों की असमानता के कारण ही हम
आंखें बंद करके सीधी दिशा में नहीं चल पाते l आंखें बंद होने पर हमारे चलने का ढंग
हमारी मांसपेशियों और शारीर की बनाबत पर निर्भर करता है l चूंकि शरीर के एक और के
हिस्से भारी हैं, अत: उस ओर लगने वाला बल हमें उसी दिशा में घुमने के लिए दबाव
डालता रहता है l जिसके परिणामस्वरूप हम एक गोल घेरे में चलने लगते हैं l आंखें
खुली होने पर हमारे शरीर पर असमान बल का प्रभाव हमारी आंखें नहीं होने देती हैं l
कुछ ऐसे प्रयोग भी करके देखे गए हैं, जिनमें आदमी की आखों पर पट्टी बांधकर सीधी दिशा
में कर चलाने को कहा गया है l लेकिन इन परीक्षणों में पाया गया कि 20 सेकंड में ही
कार अपने रास्ते से विचलित हो जाती है l ............
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें