सूर्य के विषय में कभी-कभी मन में यह आशंका पैदा होती है कि यदि सूर्य
का अंत हो गया तो हमारा क्या होगा ? क्योंकि सूर्य हमारा जीवन-डाटा है l
वैज्ञानिकों के मन में यह प्रश्न आता है कि सूर्य एक तारा है और जैसे अन्य तारों
में परिवर्तन होते रहते हैं, या कुछ का अंत हो जाता है, क्या उसी तरह सूर्य का भी
अंत हो सकता है ? क्या सूर्य की स्थिति में निरंतर होने वाले परिवर्तन हमारे लिए
एक समस्या पैदा कर सकते हैं ? इन सब प्रश्नों का उत्तर ढूंढने के लिए वैज्ञानिकों
ने सूर्य में होने वाली क्रियाओं का बड़ा गहन अध्ययन किया है और उनसे कुछ परिणाम
निकाले हैं l
एक समय था कि जब यह विश्वास किया जाता था कि सूर्य धीरे-धीरे ठंडा
होता जा रहा है l यदि ऐसा होता तो सूर्य कुछ ही हज़ार वर्षों तक रह पाता l लेकिन
वास्तव में ऐसा नहीं है l आज वैज्ञानिकों ने इस बात का निश्चय पूर्वक पता लगा लिया
है कि सूर्य से निकलने वाला प्रकाश और ऊर्जा ताप नाभिकीय कियाओं का परिणाम है l
सूर्य के अन्दर उपस्थित हाइड्रोजन के परमाणु ताप नाभिकीय क्रियाओं के फलस्वरूप
मिलकर हीलियम नाभिकों का निर्माण करते हैं l अब प्रश्न यह है कि सूर्य के अन्दर
उपस्थित हाइड्रोजन कब तक चलती रहेगी ? ऐसा अनुमान किया जाता है कि सूर्य के अन्दर
इतनी हाइड्रोजन है, जो निरंतर रूप से ताप नाभिकीय क्रियाओं को लगभग दस अरब वर्ष तक
चलाती रहेगी l इसका अर्थ यह हुआ कि सूर्य का जीवन कल लगभग 10 अरब वर्ष है l इसमें
से अब तक लगभग आधा समय बीत चुका है l अत: सूर्य अभी कम से कम 5 अरब वर्ष तक तो ऐसे
ही प्रकाश और उर्जा देता रहेगा l
हाइड्रोजन के हीलियम में परावर्तित होने से उर्जा उत्पन्न होती है, यह
परिवर्तन लगभग 2 करोड़ 70 लाख अंश फैरनहाइट पर होता है l यह उर्जा विकिरण द्धारा
पृथ्वी तक आती है l इस ऊर्जा का केवल 1% पृथ्वी ग्रहण करती है l ............
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