आज हम रेडियो, टेलिविज़न, समाचारपत्र और पत्रिकाओं में बाज़ार में बिकने
वाली हजारों वस्तुओं के विज्ञापन सुनते और देखते हैं l विज्ञापन उत्पादक और उपभोक्ताओं
के बीच में वस्तुओं की जानकारी पैदा करने का एक बहुत ही प्रभावशाली माध्यम बन गया
है l विज्ञापन द्धारा वस्तुओं की बिक्री बढ़ जाती है संसार के सभी देशों में
विज्ञापन संस्थाएं बन गई हैं, जो बड़े ही आकर्षण तरीकों से वस्तुओं के विज्ञापन
देती हैं l परन्तु विज्ञापनों में कुछ कानूनों का नियंत्रण रहने के कारण धोखाधड़ी
और हेराफेरी की प्रवृति को कुछ सीमा तक रोका जा सकता है l चीजों की बिक्री बढ़ाने
के अतिरिक्त विज्ञापनों का प्रयोग जनता को सचेत करने में भी किया जाता है l कुछ
देशों में निजी या समाजसेवी संस्थाएं, जंगल में लगी आग कैसे रोकें ? अपंग लोगों को
कैसे बचाएं ? ट्रेफिक नियम क्या हैं ? अपराधों की रोकथाम कैसे हो ? आदि बातों के
लिए अनेक विज्ञापन देती रहती हैं l
क्या
तुम जानते हो कि विज्ञापनों की शुरुआत कैसे हुई ? प्राचीन कल में जब मनुष्य ने
व्यापर करना शुरू किया, तभी से उसने अपने सामान की विशेषताएं खरीदारों तक पहुँचाने
के तरीकों को अपनाना शुरू किया l शुरू में व्यापारी लोगों के सेवक चिल्ला-चिल्ला
कर वस्तुओं की विशेषताएं बताकर ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश करते थे l थोड़े
दिनों बाद विभिन्न वस्तुओं का विज्ञापन दीवारों पर लिखकर किया जाने लगा l सन 1450
में छापेखाने का जन्म होने के बाद व्यापारी वर्ग को विज्ञापन के लिए एक सरल और
सस्ता तरीका मिल गया l 1460 में पहली बार बिलियम कैक्सटन नामक व्यक्ति ने एक
धार्मिक पुस्तक का विज्ञापन प्रकाशित किया समाचार पत्रों के शुरू होने के बाद तो
विज्ञापनों की दुनिया में क्रांति आ गई l
अब व्यापारी ही नहीं बल्कि राजनीतिज्ञ
समाजसेवी, प्रकाशक और सरकारें भी जनता तक अपने सन्देश पहुँचाने के लिए विज्ञापनों
का सहारा लेते हैं l दुनिया में विज्ञापनों पर प्रतिवर्ष अरबों रूपया खर्च किया
जाता है l 1968 में केवल अमेरिका ने 180 करोड़ डालर विज्ञापनों पर खर्च किए थे l
इसी प्रकार पश्चिमी जर्मनी ने 40 करोड़ डालर, जापान ने 15 करोड़ डालर, ब्रिटेन ने 12
करोड़ डालर, फ़्रांस तथा कनाडा ने 10 करोड़ डालर खर्च किए थे l
विज्ञापनों की संख्या आज इतनी अधिक रहती है
कि लोग इनकी तरफ अधिक धयान नहीं de पते l लोग उन्हें पढ़े, इसके लिए विज्ञापनों में
कई तरह के आश्वासन और उपहार देने की बातें भी लिखी जाती है l भारत में रेडियों पर
विज्ञापन सेवा 15 नवम्बर 1967 में बिबिध भारती ने शुरू की थी l टेलीविजन पर यह
सेवा 4 जनवरी 1976 को शुरू हुई थी l आज विज्ञापन एक कला के साथ विज्ञानं भी माना
जाने लगा है l ग्राहकों की रूचि और आदतों के अनुशार अलग-अलग प्रकार के विज्ञापन
तैयार किए जाते हैं, ताकि वे अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित कर सकें l
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