रिवर (River) शव्द की उत्पति लैटिन भाषा के
रिप (Ripa) शव्द से हुई है, जिसका अर्थ है – किनारा प्राचीन काल में पानी की उस
धरा को, जिनके किनारे होते थे, रिवर कहा जाता था l लेकिन आधुनिक परिभाषा के अनुसार
पानी की बहती विशाल धाराओं को, जिनके किनारे बदलते रहते हैं, नदी कहा जाता है l
पानी की छोटी-छोटी बहती धाराओं को नाला (Brook) कहा जाता है l क्या आप जानते है कि
नदियों का जन्म कैसे हुआ ?
सृष्टि (Creation) के आरम्भ काल में जब धरती
पर पहाड़ों और समुन्द्रों का निर्माण हो चूका था, तब लगातार वर्षा होती रहती थी l
वर्षा का यह पानी पहाड़ों पर से टेढ़े-मेधे राष्टों से गुजरता हुआ समुन्द्रों में जा
मिलता था l लगातार बहते पानी के कारण ये रश्ते गहरे और चौढ़े होते चले गए l पानी की
धरा के कारण इनका रूप परिवर्तित होता गया l इन्हीं धाराओं को नदी का नाम दिया गया
l
जैसे-जैसे समय बीतता गया, नदियों का रूप भी
बदलता गया l संसार की अधिकतर नदियां पहाड़ों से ही निकलती हैं l इन्हें बहने वाला
पानी पहाड़ों की चोटियों पर जमी बर्फ के पिघलने के कारण होता है l नदियों में वर्षा
का पानी भी मिलता रहता है l
कुछ नदियों का जन्म पहाड़ों पर जमी बर्फ के
पिघलने के कारण होता है l नदियों में वर्षा का पानी भी मिलता जाता है l कुछ नदियों
का जन्म पहाड़ों पर जमी बर्फ से बने ग्लेशियरों के खिसकने से भी हुआ है l ग्लेशियर
जब गतिशील हो जाता है, तो अपने रश्ते में आने वाले ऊबर-खाबड़ जमीं के हिस्सों को
समतल करता जाता है l कुछ समय बाद बर्फ के पिघलने से नदियां इन्हीं घाटियों से होकर
बहने लगती हैं l इसके आलावा कुछ नदियों के स्रोत (Sources) झरने और झीले
भी हो सकती हैं l
स्रोत के निकट नदी धीरे-धीरे बहती रहती है l
जिन-जिन स्थानों पर नदी अपने द्धारा ली गई मिट्टी चोर जाती है, वे स्थान बहुत
उपजाऊ हो जाते हैं l अधिकांश उपजाऊ मैदान बड़ी-बड़ी नदियों द्धारा ली गई मिट्टी से
ही बने हैं l
प्राचीन काल में जब यातायात के साधन नहीं थे,
तब नदियों द्धारा ही नावों की सहायता से सामान को एक स्थान से दुसरे स्थान तक भेजा
जाता था l आज भी नदियों का महत्व कम नहीं हुआ है l नदियों में नावें और स्टीमर भी
चलते हैं l बांध बना कर नदियों के पानी की इकट्ठा किया जाता है, बांध के पानी को
ऊंचाई से गिराकर बिजली पैदा की जाती है l इसी पानी को खेतों की सिंचाई के लिए भी
प्रयोग में लाया जाता है l ..............
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