आज भांति-भांति की किताबें हमें पढने को
मिलती हैं l कुछ किताबें तो इतने सुंदर ढंग से बनाई गई होती हैं कि वे बरबस ही
हमारा मन मोह ली हैं l किताबें को आज के सुन्दर रूप को प्राप्त करने में हजारों
वर्षों से भी अधिक समय लगा है l
मध्ययुग तक किताबें नहीं थीं l इससे पहले लोग
पेपिरस (Papyrus) पर लिखते थे और उन्हें आपस में चिपका कर रोल बना लेते थे l रोम
के लोग इन रोलों को वोल्यूमन (Volumen) कहते थे l इसी शव्द से वोल्यूम शव्द की
उत्पति हुई है l पांचवीं शताव्दी के मध्य तक लोग पार्चमेंट (Parchment) और वैलम
(Vellum) पर लिखने लगे l पार्चमेंट भेड़ और बकड़ी की खाल से बना होता था और वैलम गाय
के बछड़े की खाल से बना होता था l खाल की चद्दरों को समान आकार में काटकर किताब की
तरह सिलाई कर ली जाती थी l लोग इनकी एक सतह पर लिखते थे l वास्तव में यह पुस्तकों
की शुरुआत थी l मध्ययुग में किताबें बनने लगी थीं l उन दिनों अधिकतर किताबें लैटिन
भाषा में लिखी जाती थीं l कागज और मुद्रण कला का विकास होने के बाद किताबों ने
सुन्दर रूप धारण करना शुरू किया l आज तो अनेक प्रकार की किताबें बनने लगी हैं l
विश्व की सबसे बड़ी पुस्तक ‘ दि लिटिल रैड
एल्फ ’ को विलियम पी वुड ने लिखा v प्रकाशित किया था l 7 फुट 2 इंच ऊंची इस किताब
को खोलने पर लम्बाई 10 फुट हो जाती है l 1967 से 1971 के बीच आइरिश विश्व-विधालय की
प्रेस ने ब्रिटिश संसद के 1800 से 1900 तक के कागजात को 1200 भागों में छापा l
किसी एक विषय पर छापा यह विश्व का सबसे बड़ा सेट है, इसका कुल वज़न 3.64 टन है और कीमत लगभग दस लाख के करीब है
l यदि इसे दस घंटे रोजाना पढ़ा जाए, तो पूरी पुस्तक को पढने में 6 साल लग जाएंगा l
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