गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

Solar Eclipse / सूर्य ग्रहण

     हम यह जानते हैं कि पृथ्वी सौर परिवार का एक ग्रह है और यह सूर्य की परिक्रमा करती है l इसी प्रकार चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और यह पृथ्वी की परिक्रमा करता है l पृथ्वी और चन्द्रमा अंतरिक्ष में सूर्य के प्रकाश को रोक अपनी लम्बी-लम्बी परछाइयाँ बनाते हैं l घूमते-घूमते जब कभी सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं तथा चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बिच में आ जाता है, तो चन्द्रमा की परछाई या छाया, जो सूर्य की विपरीत दिशा में होती है, पृथ्वी पर पड़ती है l अथवा चन्द्रमा सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणों को पृथ्वी के किसी भाग पर आने से रोक लेता है l पृथ्वी के इस भाग पर रहने व्वले लोगों को ऐसा लगता है कि पृथ्वी पर अंधेरा हो गया है l इसको सूर्य ग्रहण लग्न कहते हैं (चित्र देखें)
सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी के एक सीध में आने की स्थिति केवल अमावस्या के दिन ही होती है l इसलिए सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन ही पड़ता है l

     सूर्य ग्रहण हर अमावस्या को नहीं पड़ता l इसका कारण यह है कि पृथ्वी के भ्रमण-पथ का ताल और चन्द्रमा के भ्रमण-पथ का ताल एक दुसरे के साथ 5 डिग्री पर झुके हुए हैं l यदि दोनों के भ्रमण-पथों के ताल एक ही सीध में होते तो हम हर अमावस्या को सूर्य ग्रहण देख पते l इस झुकाव के कारण घूमता हुआ चन्द्रमा पृथ्वी के परिक्रमा-पथ से कभी निचे होता है, तो कभी ऊपर l केवल कभी-कभी ही तीनों एक सीध में आ पते हैं l
     पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा की स्थिति जानकर यह पता लगाया जा सकता है कि सूर्य ग्रहण कब पड़ेगा और कितने समय तक पड़ेगा l यदि चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह से रोक लेता है, तो पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है और चन्द्रमा यदि सूरज के थोड़े हिस्से को ढकता है, तो आंशिक सूर्य ग्रहण होता है l पूर्ण सूर्य ग्रहण में भी सूर्य के किनारे दिखाई देते है l ..............

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

AYURVEDA / आयुर्वेद

  आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप में ऐतिहासिक जड़ों के साथ एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद का सिद्धांत और व्यवहार छद्म वैज्ञानिक है। भ...