आमतौर पर जब हमें किसी वस्तु का वज़न मालूम
करना होता है तो उसे तराजू के एक पलड़े में रखकर टोल लेते हैं l छोटी वस्तुओं का
वज़न ज्ञात करने के लिए छोटी तराजुओं को प्रयोग में लाते हैं और कुछ बड़ी वस्तुओं का
वजन ज्ञात करने के लिए बड़ी तराजुओं को प्रयोग में लाते हैं l अब समस्या यह है कि
कितनी बड़ी तराजू बनाई जाए जिसमें पृथ्वी जैसे महान पिंड को तोल लिया जाए और जब
पृथ्वी को ही रखकर तोलना है तो इस तराजू को रखा कहां जाए l ऐसी तराजू के विषय में
सोचना केवल एक कल्पना है l अब प्रश्न आता है कि पृथ्वी का वज़न कैसे ज्ञात किया जाए
l
पृथ्वी का वाजार ज्ञात करने के लिए विज्ञान
के एक सिद्धांत को कम में लाया गया l यह सिद्धांत गुरुत्वाकर्षण का नियम है l इस
नियम के अनुसार ब्रहमांड की किन्हीं भी दो वस्तुओं के बिच में आकर्षण बल लगता है
जो वस्तुओं के द्रव्यमान (वज़न) और उनके बिच की दुरी पर निर्भर करता है l वस्तुओं
का द्रव्यमान जितना अधिक होगा उनके बिच में लगा गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही अधिक होगा
और वस्तुओं के बिच की दुरी जितनी अधिक होगी उस दुरी के अनुसार यह बल उतना ही कम
होगा l
इसी सिद्धांत को प्रयोग में लाकर पृथ्वी का
द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए एक प्रयोग किया जाता है l इस प्रयोग में किसी धातु के
छोटे गोले को एक पतली सी रस्सी से लटका दिया जाता है l इस गोले के पास सीसा धातु
(Lead) से बना हुआ एक टन का गोला लाया जाता है l गुरुत्वाकर्षण बल के खिंचाव के
कारण छोटा गोला बड़े गोले की और थोड़ा सा आकर्षित हो जाता है और वह अपनी पहली स्थिति
से थोड़ा सा बड़े गोले की ओर खिंच जाता है l छोटे गोले से भी कम होता है l इस स्थिति
परिवर्तन को बहुत ही सावधानी के साथ अच्छे यंत्रों की सहायता से माप लिया जाता है
l इस दुरी और भौतिकी के एक सूत्र (Formula) को प्रयोग में लाकर पृथ्वी का द्रव्यमान
ज्ञात किया गया है l इसका द्रव्यमान 5980 करोड़ अरब
टन है l ...............
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