सुबह के समय तुमने घास और पेड़-पौधों पर पानी कि छोटी-छोटी बूंदें देखी
होंगी, जो सूरज कि रोशनी में मोतितों कि तरह चमकती हैं l पानी की इन बूंदो को औस
कहते हैं l अक्सर लोग यह सोचते हैं कि औस कि बूंदें वर्षा के पानी की तरह रात को
जमीन पर आकाश से गिरती है ? हमारे चरों और जो हवा होती है, उसमें जलवाष्प होती है,
जिसे हम नमी या आद्रता कहते हैं l गर्म हवा में ठंडी हवा कि अपेक्षा ज्यादा नमी
होती है l रात को जब गर्म हवा किसी ठंडी सतह को छूती हुई बहती है, तो उसमें उपस्थित
जलवाष्प पानी के कणों को रूप में उस सतह पर संधनित हो जाती है l इन्ही पानी के
कणों को हम औस कहते हैं l
औस का बनना हम एक सरल प्रयोग द्वारा देख सकते हैं l एक गिलास लो और उसे
अपनी मेज पर रख लो l अब बर्फ का ठंडा पानी गिलास में डाल दो l कुछ मिनटों में तुम
देखोगे कि गिलास की बाहरी सतह पर पानी कि छोटी-छोटी बूंदें जम गई हैं l ये पानी की
बूंदें हवा में उपस्थित जलवाष्प के संघनित होने से ही बनती हैं l ठीक इसी प्रकार
पेड़-पौधे और घास जो रात में काफी ठंड हो जाते हैं, जलवाष्प को संधनित करके औस का
रूप दे देते हैं l
जब आसमान साफ होता है, तो औस अधिक बनती है, लेकिन जब बादल छाये होते
हैं तो औस काम बनती है l इस का कारण यह है कि आसमान साफ होने पर धरती से पानी का
वाष्पीकरण अधिक होते है और पेड़-पोधे भी रात को ठंडे हो जाते हैं, जिससे औस अधिक
बनती है l
लेकिन जब बादल छाये होते हैं, तब घास और पौधे रात में अधिक ठंडे नहीं
हो पाते, इसलिए औस कम जमती है l धूप निकलने पर औस कि बूंदें अधिक देर नहीं रुक
पाती, क्योंकि धूप कि गर्मी से पानी कि ये बूंदें वाष्पित होकर फिर से वायु में
मिल जाती हैं l ............
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