सोमवार, 7 अक्टूबर 2013

Stupidity / मुर्खता

     एक बार एक साधु ने अपने कुटिया में कुछ तोते पाल रखे थे और उन सभी तोते को अपनी सुरक्षा हेतु एक गीत सिखा रखा था शिकारी आएगा जाल बिछाएगा पर हम नहीं जाएँगे |” एक दिन साधु बाबा भिक्षा मांगने हेतु पास ही के एक गाँव में गए |
     इसी बीच एक शिकारी आया l उसने देखा एक पेड़ पर अनेक तोते बैठे हैं उसे उन पक्षियों को देख कर लालच हुआ l उसने उन  सभी तोते को पकड़ने की योजना बनाने लगा कि तभी तोते एक साथ गाने लगेशिकारी आएगा जाल बिछाएगा पर हम नहीं जाएँगे |” बहेलिया ने जब यह सुना तो आश्चर्यचकित रह गया !! उसने इतने समझदार तोते कहीं देखें ही नहीं थे उसने सोचा इन्हे पकड़ना असंभव हैं ये तो प्रशिक्षित तोते लगते हैं | बहेलिया को नींद आ रही थी उसने उसी पेड़ के नीचे अपनी जाल में कुछ अमरूद के टुकड़े डाल सो गया , सोचा कि संभवतः कोई लालची और बुद्धू तोता फंस जाये | कई घंटे उपरांत जब वह सोकर उठा तो देखा कि सारे तोते एक साथ गा रहे थे शिकारी आएगा जाल बिछाएगा पर हम नहीं जाएँगे |” पर कहाँ गा रहे थे जाल के अंदर !! शिकारी उन सब बुद्धू तोते की हाल देख हंस पड़ा और सब को पकड़ कर ले गया |
     आज हम सनातनी कि स्थिति भी इन बुद्धू तोते के समान है , प्रतिदिन आरती में तन, मन, धन सब है तेरा, तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे है मेरायह कहना तो है मात्र धर्म कार्य हेतु अर्पण करने समय कुछ भी अर्पण करने से कतराते हैं ! पूरी की पूरी भगवद गीता कंठस्थ होती है और कोई क्षात्रध्रम साधना के बारे में बताए तो उसे संकुचित विचारधारा का बताते हैं !

“ समाप्त ”

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