रविवार, 6 अक्टूबर 2013

Growth / वृद्धि

मित्रोँ बहुत पुरानी बात है। एक छोटे से गाँव में दो भाई रहते थे । बड़े भाई की शादी हो गई थी और उसके दो बच्चे भी थे । लेकिन छोटा भाई, अभी कुँवारा ही था । दोनों साथ में रहते थे और साझा खेती करते थे। दोनों इसी तरह से अपनी जिंदगी जी रहे थे, एक बार उनके खेत में गेहूँ की फसल पक कर तैयार हो गई । दोनों ने मिलकर फसल काटी और गेहूँ तैयार किया। इसके बाद दोनों ने आधा-आधा गेहूँ आपस में बाँट लिया।

      अब उन्हें गेहूं ढोकर घर ले जाना बचा था। रात हो गई थी, इसलिए यह काम अगले दिन ही हो पाता । रात में दोनों को फसल की रखवाली के लिए खलिहान पर ही रुकना था। दोनों को भूख भी लगी थी। दोनों ने बारी-बारी से खाने की सोची। पहले बड़ा भाई खाना खाने घर चला गया । छोटा भाई खलिहान पर ही रुक गया । वह सोचने लगा- भैया की शादी हो गई है, उनका परिवार है,  इसलिए उन्हें ज्यादा अनाज की जरूरत होगी । यह सोचकर उसने अपने ढेर से कई टोकरी गेहूँ निकालकर बड़े भाई वाले ढेर में मिला दिया।

      बड़ा भाई थोड़ी देर में खाना खाकर लौटा । उसके बाद छोटा भाई खाना खाने घर चला गया। बड़ा भाई सोचने लगा मेरा तो परिवार है, बच्चे हैं, वे मेरा ध्यान रख सकते हैं, लेकिन मेरा छोटा भाई तो एकदम अकेला है, इसे देखने वाला कोई नहीं है। उसे मुझसे ज्यादा गेहूँ की जरूरत है। उसने अपने ढेर से उठाकर कई टोकरी गेहूँ छोटे भाई वाले गेहूँ के ढेर में मिला दिया l इस तरह दोनों के गेहूँ की कुल मात्रा में कोई कमी नहीं आई । हाँ, दोनों के आपसी प्रेम और भाईचारे में थोड़ी और वृद्धि जरूर हो गई।

“ समाप्त ”

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