प्राचीन काल से ही मनुष्य के मन में
ऋतुपरिवर्तन को समझने की उत्सुकता रही है l उसके मन में यह प्रश्न उठता रहा है कि
गर्मी और सर्दी क्यों होती हैं ? गर्मियों में दिन लम्बे क्यों हो जाते हैं और
रातें क्यों छोटी हो जाती हैं ? इसी प्रकार सर्दियों में दिन क्यों छोटे हो जाते हैं
और रातें लम्बी क्यों हो जाती हैं ? इन बातों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है
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हम जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा
करने के साथ-साथ अपनी धुरी (Axis) पर भी घुमती है l धुरी पर घुमने के कारण रात और
दिन होते हैं l पृथ्वी अपने अक्ष पर 231/2 डिग्री झुकी हुई है l इसी झुकाव के कारण ऋतु
परिवर्तन होते हैं l अपने अक्ष पर झुकी हुई पृथ्वी जब सूर्य की परिक्रमा करती है,
तो एक ही स्थान पर अलग-अलग समय में सूर्य की किरणों का झुकाव अलग-अलग होता है l
भिन्न-भिन्न झुकाव के कारण सूर्य कि किरणों के ताप का वितरण बदलता रहता है इसी
वितरण के कारण समय के साथ उस स्थान पर गर्मी अथवा सर्दी की ऋतु बन जाती है l
यदि हम ऊपर के चित्र को ध्यानपूर्वक देखें तो
(A) चित्र को देखने से पता चलता है कि पृथ्वी के
उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें सीधी पड़ रही हैं, इसलिए यहां इस समय गर्मी होगी
और दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय सर्दी होगी l लगभग 6 महीने बाद स्थिति बिलकुल
उलटी हो जाती है, अर्थात् उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं और
सर्दी हो जाती है l इस प्रकार ऋतुएं बनती हैं l
21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य भूमध्य रेखा
(Equator) के ठीक ऊपर होता है l इन दिनों पृथ्वी के हर स्थान पर 12 घंटे के दिन और
12 घंटे कि रात होती है l 21 मार्च से लेकर 21 जून तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क
रेखा कि और बढ़ता है l इसका परिणाम यह होता है कि उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी पड़ती
है और दक्षिणी गोलार्द्ध में सर्दी l इस अवधि में उत्तरी गोलार्द्ध में रात छोटी
होती जाती हैं और दिन लम्बे होते जाते हैं l 21 जून से लेकर 22 दिसम्बर तक सूर्य
कर्क रेखा में मकर रेखा की और बढ़ता है l 23 सितम्बर को सूर्य भूमध्य रेखा पर तथा
22 सितम्बर को मकर रेखा पर 231/2 डिग्री
के कोण पर होता है l परिणाम यह होता है कि दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन छोटे होते
जाते हैं तथा रातें लम्बी l 22 सितम्बर के बाद सूर्य कि गति फिर उत्तरायण होती है
और 21 मार्च को पुन: भूमध्य रेखा के ऊपर पहुंच जाता है l इस दौरान रातें छोटी और
दिन की लम्बाई बढ़नी शुरू हो जाती है l इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि
प्रिथ्वि का सूर्य के चारों और घूमना और अपने अक्ष पर झुके
हुए होकर घूमना ही ऋतु परिवर्तन और रात-दिन बड़े, छोटे होने का कारण है l
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