पृथ्वी की उत्पत्ति जान लेने के बाद मनुष्य
के मन में धरती कि आंतरिक बनावट जानने कि इच्छा हुई l उसने पृथ्वी की खुदाई करके
उसके अन्दर की संरचना को जान लेने की कोशिश कि, लेकिन यह तरीका सफल सिद्ध नहीं हुआ
l उसने पृथ्वी कि आंतरिक संरचना जानने के लिए बहुत से उपाय सोचे और अंत में एक
तरीका ढूंढ निकाला l इस तरीके में भूकम्प तरंगों (Seismic Waves) कि सहायता से
पृथ्वी कि आतंरिक रचना के विषय में ज्ञान प्राप्त किया जाता है l अब तक के
अध्ययनों से पता चला है कि हमारी पृथ्वी के अन्दर केवल तीन सतहें हैं l ये हैं,
उपरी पपड़ी (Earth Crust), मैंटल (Mantle) और केंद्रीय क्रोड़ (Core) l
ऊपरी पपड़ी ठोस अवस्था में है, जिसे भूपृष्ठ
(Earth Crust) भी कहते हैं l इसकी मोटाई 16 कि. मी. से लेकर 50 कि. मी. (30 मील)
है l समुद्रों के निचे इसकी मोटाई 5 कि. मी. (3 मील) तक है l यह परत मुख्य रूप से
सिलिका से बनी है l इसका आयतन पृथ्वी के आयतन कि तुलना में 1% है और इसका भार
पृथ्वी के भर कि तुलना में केवल 4% है l इस भूप्रष्ठ की भी दो परतें हैं l ऊपरी
हल्की परत को सीमा (Sima) और अधिक धनत्व वाली निचली परत को सियाल (Sial) कहते हैं
l
भूप्रष्ठ के निचे कि दूसरी परत मैंटल कहलाती
है l इसकी गहराई 2880 कि. मी. तक है l मैंटल मुख्य रूप से लोहे और मैग्नीशियम से
बना हुआ है l इसमें ठोस चट्टानें भी हैं l इसका कुल आयतन धरती के आयतन का 84% है l
इसका भार पृथ्वी के भार का 67% है l
पृथ्वी के केन्द्र वाला भाग क्रोड़ (Core)
कहलाता है, जो अधिक धनत्व वाले पदार्थोँ से मिलकर बना है l यह मुख्य रूप से लोहा
और निकल हैं l इसकी संरचना भी ठोस है, लेकिन यह चारों और से तरल पदार्थों से धीरा
हुआ है l इसका व्यास लगभग 2560 कि. मी. (1600 मील) है l इसका तापमान 8000 डिग्री
सेंटीग्रेड है l इसका आयतन पृथ्वी के आयतन का 15% है और भार धरती के भर का 32% है
l पृथ्वी की सतह से केन्द्र की दुरी लगभग 6363 कि.मी. (3960 मील) है l
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