समुन्द्रमंथन के दौरान इस धरती पर दिव्य गाय की उत्पत्ति हुई | भारतीय गोवंश को माता का दर्जा दिया गया है इसलिए उन्हें
"गौमाता" कहते है | हमारे शास्त्रों में गाय को
पूजनीय बताया गया है इसीलिए हमारी माताएं बहनें रोटी बनाती है तो सबसे पहली रोटी
गाय को ही देती हैं गाय का दूध अमृत तुल्य होता है | गाय एक महत्त्वपूर्ण पालतू पशु है जो संसार में
प्रायः सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म का दूध प्राप्त होता है। हिन्दू, गाय को 'माता' (गौमाता) कहते हैं। इसके बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतों
की जुताई करते हैं। भारत में वैदिक काल से
ही गाय का महत्व रहा है। आरम्भ में आदान-प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप
में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी।
भारत में गाय की 30 से अधिक नस्लें पाई जाती हैंl लाल सिन्धी, साहिवाल, गिर, देवनी, थारपारकर आदि नस्लें भारत में दुधारू गायों की प्रमुख नस्लें हैं।
गीर, भारतीय मूल की गाय है। यह दक्षिण काठियावाड़
में पायी जाती है। ये गायें 12-15 साल जीवित रहतीं हैं और
अपने पूरे जीवनकाल में 6-12 बछड़े उत्पन्न कर सकतीं हैं।
गिर भारत के एक प्रसिद्ध दुग्ध पशु नस्ल है। गीर प्रतिदिन 30 लीटर या इससे
अधिक दूध देती हैं। यह गुजरात राज्य के गिर वन क्षेत्र और महाराष्ट्र तथा
राजस्थान के आसपास के जिलों में पायी जाती है। यह गाय अच्छी दुग्ध उत्पादताकता के
लिए जानी जाती है।इस गाय के दूध में सोने के तत्व पाए जातें हैं जिससे
रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इस गाय के शरीर का रंग सफेद,
गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे के साथ या कभी कभी चमकदार लाल
रंग में पाया जाता है। कान लम्बे होते हैं और लटकते रहते हैं। मादा गिर का
औसत वजन 385 किलोग्राम तथा ऊंचाई 130 सेंटीमीटर
होती है जबकि नर गिर का औसतन वजन 545 किलोग्राम तथा ऊंचाई 135
सेंटीमीटर होती है।
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