बुधवार, 1 जनवरी 2014

Volcano / ज्वालामुखी

     ज्वालामुखी पर्वत उन पर्वतों को कहते हैं, जिनके मुंह से आग धुआं और राख निकलती रहती है l ये पर्वत पृथ्वी के अन्दर की उथल-पुथल का ही परिणाम हैं l जब किसी स्थान पर ज्वालामुखी फटता है, तो इसमें से पिघली हुई लाल चट्टानें निकलती हैं, जिन्हें लावा कहते है l क्या आप जानते है कि ज्वालामुखी पर्वत कैसे बनते हैं ?
     ज्वालामुखी का बनना इस प्रकार समझा जा सकता है l पृथ्वी की सतह से यदि हम निचे की और जाएं तो तापमान बढ़ता जाता है l लगभग 3 कि.मी. की गहराई पर इतना तापमान होता है, जो चट्टनों को पिघला सकता है l पृथ्वी के अन्दर की चट्टानें जब इस गर्मी के कारण पिघलती हैं, तो वे फैलने लगती हैं l इन पिघली हुई चट्टानों को मैग्मा (Magma) कहते हैं l पृथ्वी के कुछ भू-भागों में यह पपड़ी के भीतर की दरारों के सहारे ऊपर उठने लगता है l जब इस मैग्मा का दबाव काफी हो जाता है और किसी स्थान पर धरती की पपड़ी (Crust) कमजोर होती है, तो पपड़ी वहां पर फट जाती है और उसमें से पिघली हुई चट्टान की गर्म गैसें, तरल और ठोस पदार्थ तेज़ी से बहार निकलने लगते हैं l इसको ज्वालामुखी का फटना कहते हैं l अन्दर से निकलने वाले गर्म धुआं, राख v पत्थर के टुकड़ों को लावा कहते हैं l यह लावा धरती पर शंक के आकार में जमता हुआ चला जाता है और ठंडा होने पर पर्वत का रूप ले लेता है l

     ज्वालामुखी के मुंह से आग और धुआं तब तक निकलता रहता है, जब तक अन्दर का पिघला हुआ द्रव्य समाप्त न हो जाए l जब अन्दर का पदार्थ समाप्त हो जाता है, तो आग v धुंए का निकलना बंद हो जाता है और ऐसे ज्वालामुखियों को मृत ज्वालामुखी (Dead Volcanoes) कहते हैं इस समय दुनिया में 450 से अधिक ज्वालामुखी पर्वत हैं l इंडोनेशिया में ऐसे ज्वालामुखियों की संख्या काफी है l संसार का सबसे ऊंचा बुझा हुआ ज्वालामुखी पर्वत अर्जेंटीना में है, जो 6960 मीटर (22834 फुट) ऊंचा है l ............. 

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