जीवन के लिए वायु की तरह पानी भी अत्यंत
आवश्यक है l यदि धरती पर पानी न होता तो आज जीवन सम्भब न होता l पानी के बिना हम
कुछ घंटों से अधिक जीवित नहीं रह पते l पेड़-पौधे, मनुष्य तथा जानवर सभी को पानी की
आवश्यकता होती है l शायद इसी लिए पृथ्वी पर 70% पानी है और 30% जमीं l
क्या आप जानते है कि पानी क्या है ? पानी
हाइड्रोजन और आक्सीजन का एक यौगिक है, जिसमें आयतन के हिसाब से दो भाग हाइड्रोजन
और एक भाग आक्सीजन होती है l इसके गुण इन दोनों गैसों से एकदम अलग होते हैं l
शुद्ध अवस्था में पानी में न कोई रंग होता है, न कोई गंध और न कोई स्वाद l प्रकृति
में जल के अनेक स्रोत हैं, हमें नदियों, झीलों, झरनों, कुओं, वर्षा,समुंद्र आदि से
जल प्राप्त होता है l
अन्य पदार्थों की तरह जल की भी तिन अवस्थाएं
होती हैं – पानी, वर्फ और भाप l साधारण रूप में यह तरल अवस्था में मिलता है, लेकिन
जब इसे 0 डिग्री सेंटीग्रेड तक ठंडा किया जाता है, तो यह जमकर बर्फ में यानि ठोस
अवस्था में आ जाता है l इसी प्रकार जब इसे 100 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म किया
जाता है, तो यह उबलने लगता है और भाप अर्थात गैसीय अवस्था को प्राप्त कर लेता है l
बर्फ का प्रयोग हम वस्तुओं को ठंडा करने में करते हैं l भाप से रेल का इंजन तथा
टरबाइन चलती हैं l
प्रकृति से मिलने वाला पानी शुद्ध अवस्था में
नहीं होता l इसमें बहुत से खनिज पदार्थ और गैसें घुली होती हैं इन असुद्धियों के
कारण जल में कुछ स्वाद पैदा हो जाता है l कुछ अशुद्धियों के घुलने के कारण पानी
भारी (खारा) हो जाता है l भारी पानी साबुन के साथ आसानी से झाग नहीं बनाता, जबकि
हल्का पानी साबुन के साथ आसानी से झाग बनाता है l इस विधि से भारी पानी और हलके
पानी की पहचान भी कर सकते हैं l पानी का भारीपन दो प्रकार का होता है l एक अस्थाई
भारीपन और दूसरा स्थाई भारीपन l अस्थाई भारीपन कैल्शियम और मैग्नीशियम के
बाइकार्बोनेटों के साथ उपस्थिति के कारण होता है l पानी के उबालने से यह भारीपन
दूर हो जाता है l स्थाई भारीपन कैल्शियम और मैग्नीशियम के क्लोराइडों और सल्फेटों
के कारण होता है l इस भारीपन को सोडियम कार्बोनेट (कपड़े धोने का सोडा) डालकर दूर
किया जाता है l
पानी एक सेस द्रव है, जिसके कई विलक्षण गुण
हैं l उदाहरण के लिए जब यह ठोस अवस्था में होता है, तो यह द्रव अवस्था की अपेक्षा
कुछ हल्का हो जाता है l यही कारण है कि बर्फ पानी में तैरती रहती है l इसी कारण
बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें नदियों और समुंद में तैरती रहती हैं l पानी का धनत्व 4
डिग्री सेन्टीग्रेड पर अधिकतम होता है l इस गुण के कारण जाड़ों में झील और तालाबों
के पानी के ऊपर की सतह तो बर्फ में परिवर्तित हो जाती है, लेकिन निचे का पानी नहीं
जमता l इस कारण ठन्डे प्रदेशों में मछलियां आदि जिव बर्फ के निचे आराम से जिन्दा
रह लेते हैं l पानी की संरचना ऐसी है कि इसमें अधिकतर वस्तुएं धुल जाती हैं l
इसलिए यह महँ घोलक के रूप में प्रयोग किया जाता है l समुन्द्रों का पानी खारा है,
क्योंकि उसमें बहुत सरे खनिज घुले रहते हैं l पानी में हवा घुल जाती है, जिसे पानी
में रहने वाले जीव साँस द्धारा लेते रहते है l पानी एक ऐसा तरल है, जो आसनों से
वश्यित नहीं होता, इसलिए अधिक समय तक मिट्टी में इसकी नमी बनी रहती है, जो
पेड़-पौधों के लिए बहुत ही उपयोगी है l
विभिन्न प्राणियों में पानी अलग-अलग मात्रा
में रहता है l पेड़-पौधों में 60% से 80% तक, ताजे फलों में 85% से 95% तक और जलीय
पौधों में 98% तक पानी रहता है l
एक सभ्य मनुष्य पीने, नहाने और कपड़े धोने में
औसतन 35 गैलन पानी खर्च करता है l पाने के पानी के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए l प्राय:
पानी में टाइफाइड, कॉलरा, डायरियां, डायसेंद्री आदि भयंकर बीमारियों के कीटाणु
होते हैं l इसीलिए पानी उबालकर पीना स्वस्थाकर होता है l पानी को छानकर, उबालकर,
लाल दवाई या ब्लीचिंग पाउडर अथवा क्लोरिन मिलाकर कीटाणु रहित बनाया जा सकता है l
..............
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें