व्याह शादियों और दुसरे ख़ुशी के अवसरों पर
लोग हवा में गुब्बारे उड़ाते हैं l ये गुब्बारे रबर, रेशम या कागज के बने होते हैं
l इनका आकार गोल होता है l इनमें हाइड्रोजन व हीलियम गैस भर दी जाती है, जो हवा से
हल्की होती है l गैस के हल्केपन के कारण ही गुब्बारा हवा में उड़ जाता है l कुछ
गुब्बारे गर्म हवा की सहायता से भी उड़ाए जाते हैं l वास्तव में मनुष्य की आकाश में
उड़ने की कल्पना गुब्बारों द्धारा ही साकार हुई है l क्या आप जानते है कि गुब्बारे
उड़ाने की शुरुआत कब और कैसे हुई ?
शुरु-शुरू में गुब्बारों का हवा में उड़ना एक
आश्चर्य की बात थी l सबसे पहले सन् 1783 में फ्रांस के जोसेफ़ (Joseph) और मान्गोल
फियर (Montgolfier) ने सिल्क का बड़ा सा थैला बनाया, जिसका मुंह निचे से खुला हुआ
था l इसके निचे कागज आदि जला कर धुयां भरने की व्यवस्था थी l उन्होंने देखा कि
गर्म हवा से भरा यह गुब्बारा हवा में ऊपर उड़ जाता है l इनका पहला गुब्बारा वायु
में लगभग 2.5 की.मी. (1.5 मील) की ऊंचाई तक उड़ा l 19 सितम्बर सन् 1783 में इस
गुब्बारे के साथ एक छोटी सी टोकरी लगा दि गई l इसमें एक मुर्गा, एक बतख और एक भेड़
को बिठाकर हवा में उड़ाया गया l इस प्रकार की
उड़ान को देखनें के लिए फ्रांस के राजा सहित हज़ारों लोग एकत्रित हुए l 21
नवम्बर सन् 1783 को सबसे पहला मानव युक्त गुब्बारा आकाश में उड़ाया गया l यह
गुब्बारा पेरिस के ऊपर लगभग 9 की.मी. (5.5 मील) की ऊंचाई तक उड़ा l इन गुब्बारों
में बैठे मनुष्यों को हवा की दिशा पर निर्भर रहना पड़ता था l आने वाले वर्षों में
वैज्ञानिकों ने इसमें बहुत से सुधार किए l वैज्ञानिकों की दिमागी कसरत के परिणाम
स्वरूप ही तो, गुब्बारों की उड़ान से ही वायुयान का विकास हो सका है l
आज भी गुब्बारों का वैज्ञानिक परीक्षणों और
दैनिक कार्यों में बड़ा महत्व है l कौस्मिक किरणों (Cosmic Rays) का आविष्कार भी
गुब्बारों द्धारा ही सम्भब हुआ l मौसम सम्बन्धी सुचनायें प्राप्त करने के लिए सन्
1900 से ही गुब्बारों का प्रयोग हो रहा है l आजकल गुब्बारे रेशम की बजाय प्लास्टिक
के बनाये जाते हैं इनमें मनुष्य के स्थान पर स्वचालित यंत्र लगे रहते हैं l
गुब्बारों का प्रयोग बादलों की ऊंचाई मापने के लिए किया जाता है l सौर उर्जा से
सम्बंधित अध्ययन भी गुब्बारों का प्रयोग बादलों की ऊंचाई मापने के लिए किया जाता
है सौर उर्जा से सम्बंधित अध्ययन भी गुब्बारों की सहायता से किए जाते हैं l आने
वाले मौसम के विषय में भविष्यवाणी करने में गुब्बारे बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रहें
हैं l गुब्बारों को आसमान की बहुत अधिक ऊंचाईयों तक भेजा जा सकता है l 4 मई सन्
1961 को अमेरिका के एम. रोज (M. Rose) और बी. प्राथेर (V. Prather) ने मेक्सिको की
खाड़ी में गुब्बारा उड़ाने का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया l यह गुब्बारा 34668
मीटर (113739 फुट) की ऊंचाई तक उड़ा था l ............
Kya is gravitation karya nahi karta hsi
जवाब देंहटाएं