शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2013

Moon's Gravitational Force / चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल

ब्रहमाण्ड में प्रत्येक वस्तु एक दूसरी वस्तु को आकर्षित किए हुए है l इस आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है l गुरुत्वाकर्षण बल दो बातो पर निर्भर करता है l वस्तुओं के द्रव्यमान (Mass) और उनके बीच की दूरी l दो वस्तुओं के बिच का गुरुत्वाबल उतना ही अधिक होगा, जितना उनका द्रव्यमान अधिक होगा, लेकिन इनके बिच की दूरी जितनी अधिक होगी बल काम होता जाएगा l यदि दो वस्तुओं के बिच की दुरी को दोगुना कर दिया जाए , तो उनके बिच में लगा गुरुत्वाबल चोथाई रह जाएगा l
     चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है, जो पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है l पृथ्वी का द्रव्यमान चन्द्रमा की तुलना में लगभग 81 गुना है और चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग एक चोथाई है l इसलिए चन्द्रमा पर गुरुत्वाबल धरती की तुलना में केवल छठा हिस्सा राह जाता है l यही कारण है कि चन्द्रमा पर मनुष्य का वजन पृथ्वी की तुलना में घटकर छठा भाग हो जाता है l यदि कोई मनुष्य पृथ्वी पर एक मीटर उछल सकता है , तो वही मनुष्य चन्द्रमा की सतह पर छ: मीटर उचा उछल सकेगा l इसी प्रकार चन्द्रमा की सतह पर पहुच कर यदि कोई गेंद ऊपर की और फेंकी जाए , तो वह पृथ्वी की तुलना में छ: गुना अधिक ऊंची जाएगी l
     चन्द्रमा का गुरुत्वाबल काम होने के कारण वहां पर कोई वायुमंडल नहीं है l काम गुरुत्वाकर्षण के कारण वायु के अणुऔ पर कम बल लगता है , इसलिए वे चन्द्रमा के वातावरण में रुक नहीं पातें l चन्द्रमा के गुरुत्वाबल का प्रभाव हमारी धरती पर भी पड़ता है l इस गुरुत्वाबल के कारण समुद्रों का पानी ऊपर की और खींचता है , जिससे समुद्रों में ज्वार आते हैं .............

2 टिप्‍पणियां:

AYURVEDA / आयुर्वेद

  आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप में ऐतिहासिक जड़ों के साथ एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद का सिद्धांत और व्यवहार छद्म वैज्ञानिक है। भ...