क्या तुम जानते हो कि आधुनिक समुंद्री जहाज
एक अच्छे खासे होटल जैसा होता है l इस में कई मंजिलें (Storeys) होती हैं l ऊपर कि मंजिलों में कमरे होते हैं ,
जिन्हें केबिन कहा जाता है l निचे के हिस्से में सामान रखने कि सुविधा होती है l
जहाज़ों के अंदर लिफ्ट लगी होती हैं , जिनसे लोग ऊपर निचे आ जा सकते हैं l इसके
अतिरिक्त इनमें भोजन कक्ष नाई कि दुकान, स्टोर, व्यमशालाए, तैरने के लिए तालाब,
चिकित्सालय और अनेकों सुविधाएं होती हैं l इन जहाजों में दिशासूचक यंत्र, रेडियो,
राडार आदि आधुनिक वैज्ञानिक यंत्र लगे होते है l इन जहाज़ों का वज़न हज़ारों कुंटल
होता है इनमें बड़े-बड़े इंजन काम करते है l क्या तुम जानते हो कि आज के इस विकसित
रूप को प्राप्त करने के लिए समुंद्री जहाजों को कितनी सीढियों से गुजरना पड़ा हैं l
शुरु-शुरु में आदमी ने लकड़ी के गट्ठरो कि सहायता से पानी में यात्रा करना सिखा l
इसके पश्चात् उसने लकड़ी के तख्ते और बांस का समतल धरातल बनाकर समुंद्र में उतरना
शुरु किया l ईसा से लगभग 6000 वर्ष पूर्व नाव का आविष्कार किया गया था, जो पतवार
द्वारा चलती थी l बाद में मनुष्य ने पाल से चलने वाले जहाज़ बनाए, जिन्हें हवा कि
दिशा पर निर्भर रहना परता था l सन् 1787 में अमेरिका के इंजीनियर जॉन फिच (John
Fitch) ने सबसे पहले जहाज़ में भाप का इंजन लगाया था l इसके बाद पतवारों का जमाना
खत्म हो गया और भाप से चलने वाले जहाज़ बनाने लगे l 18 वीं शताब्दी के अंत में
जहाज़ों में डीज़ल से चलने वाले इंजन प्रयोग होने लगे थे l इसके बाद धीरे-धीरे
समुंद्री जहाज़ों ने आधुनिक रूप लेना शुरु कर दिया l
जहाज़ों में सबसे अधिक विकास परमाणु शक्ति के प्रयोग से हुआ l 1954 में
अमेरिका ने स्वप्रथम परमाणु शक्ति से चलने वाला समुंद्री जहाज बनाया l 1959 में
रूस ने भी परमाणु शक्ति से चलने वाला ‘लेनिन’ नामक जहाज़ बनाया l आब तो बर्फ से
समुंद्र में चलने वाले जहाज़ भी बनाने लगे हैं l ऐसे जहाज़ का निर्माण सन् 1962 में
सबसे पहले अमेरिका ने किया था l विश्व का सबसे बड़ा समुंद्री जहाज़ सीवीस जायंट
(Seawish Giant) जो 1979 से 2009 तक काम में लगीं हुई थी जो अब नस्ट हो चुकीं हैं
l इसके बाद ट इ क्लास (TI Class) जो 2002 से काम कर रही हैं l ............
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