एक
बार एक बाबा जी प्रवचन दे रहे थे कि कही से एक शराबी आ गया और उसने बाबा जी से एक
प्रश्न किया, 'बाबा
जी, एक बात बताइए।' '
क्या?', बाबा ने प्रश्न किया।
क्या?', बाबा ने प्रश्न किया।
'यदि मैं खजूर खाऊं, तो क्या मुझे पाप लगेगा?' शराबी ने पूछा।
बाबा ने जवाब दिया, 'बिल्कुल नहीं।'
शराबी ने अगला प्रश्न किया, 'और यदि मैं उस खजूर के साथ थोड़ा पानी मिला लूं और तब खाऊं, तो क्या मुझे पाप लगेगा?'
'इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा' बाबा जी ने कहा।
'और बाबा जी, यदि मैं उस खजूर में पानी के साथ-साथ थोड़ा खमीर मिलाकर खाऊं, तो क्या उससे कोई धार्मिक अवज्ञा होगी?' उस शराबी ने पुन: प्रश्न किया।
बाबा सारी बात समझ गए थे, किंतु फिर भी बड़े शांत स्वर में उन्होंने उत्तर दिया, 'नहीं, बिल्कुल नहीं।'
अब शराबी तर्क करता हुआ बोला, 'तो फिर धार्मिक ग्रंथों में शराब पीना पाप क्यों बतलाया गया है, जबकि वह इन तीनों के मिलाने से ही बनती है?'
बाबा जी ने शराबी के सवाल का जवाब न देते हुए उलटे उससे ही प्रश्न कर दिया, 'अच्छा, एक बात बताओ। यदि मैं तुम पर मुट्ठी भर धूल फेंकूं, तो क्या तुम्हें चोट लगेगी?'
'नहीं।' शराबी का जवाब था।
'और, यदि मैं उस धूल में थोड़ा पानी मिला लूं और तब तुम पर फेंकूं, तो क्या कोई फर्क पड़ेगा?' बाबा ने पूछा।
'तो भी मुझे कोई चोट नहीं पहुंचेगी' प्रसन्नता से शराबी बोला।
'और मित्र, यदि मैं उस मिट्टी और पानी में कुछ पत्थर मिला कर तुम्हारे ऊपर फेंकूं, तो क्या अंतर होगा?' बाबा ने अगला प्रश्न किया।
'तब तो मेरा सिर ही फूट जाएगा', घबराकर शराबी बोला।
अब बाबा ने शांति से कहा, 'मुझे विश्वास है कि अब तुम्हें अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।'
अब शराबी वास्तविकता से परिचित हो चुका था।
बाबा ने जवाब दिया, 'बिल्कुल नहीं।'
शराबी ने अगला प्रश्न किया, 'और यदि मैं उस खजूर के साथ थोड़ा पानी मिला लूं और तब खाऊं, तो क्या मुझे पाप लगेगा?'
'इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा' बाबा जी ने कहा।
'और बाबा जी, यदि मैं उस खजूर में पानी के साथ-साथ थोड़ा खमीर मिलाकर खाऊं, तो क्या उससे कोई धार्मिक अवज्ञा होगी?' उस शराबी ने पुन: प्रश्न किया।
बाबा सारी बात समझ गए थे, किंतु फिर भी बड़े शांत स्वर में उन्होंने उत्तर दिया, 'नहीं, बिल्कुल नहीं।'
अब शराबी तर्क करता हुआ बोला, 'तो फिर धार्मिक ग्रंथों में शराब पीना पाप क्यों बतलाया गया है, जबकि वह इन तीनों के मिलाने से ही बनती है?'
बाबा जी ने शराबी के सवाल का जवाब न देते हुए उलटे उससे ही प्रश्न कर दिया, 'अच्छा, एक बात बताओ। यदि मैं तुम पर मुट्ठी भर धूल फेंकूं, तो क्या तुम्हें चोट लगेगी?'
'नहीं।' शराबी का जवाब था।
'और, यदि मैं उस धूल में थोड़ा पानी मिला लूं और तब तुम पर फेंकूं, तो क्या कोई फर्क पड़ेगा?' बाबा ने पूछा।
'तो भी मुझे कोई चोट नहीं पहुंचेगी' प्रसन्नता से शराबी बोला।
'और मित्र, यदि मैं उस मिट्टी और पानी में कुछ पत्थर मिला कर तुम्हारे ऊपर फेंकूं, तो क्या अंतर होगा?' बाबा ने अगला प्रश्न किया।
'तब तो मेरा सिर ही फूट जाएगा', घबराकर शराबी बोला।
अब बाबा ने शांति से कहा, 'मुझे विश्वास है कि अब तुम्हें अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।'
अब शराबी वास्तविकता से परिचित हो चुका था।
“ समाप्त ”
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