विषाणु (Virus) ऐसी सूक्षम संरचनाए हैं, जो साधारण
सूक्ष्मदर्शी (Microsc - ope) से भी दिखाई नहीं देते l इन्हें देखने के लिए
इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी (Electron Microscope) कि आवश्यकता होती है l विषाणु को
सजीव व निर्जीव दोनों ही श्रेणियों में रखा जाता है l ये जीवित प्राणियों कि
कोशिकाओं के अंदर ही पलते और बढ़ते है l इसलिए इन्हें सजीवों कि श्रेणी में रखते
हैं l ये बाहरी दुनिया कि चीजों पर पैदा नहीं होते l इन्हें बोतलों में चीनी और
नमक कि भांति रखा जा सकता है l इसलिए इन्हें निर्जीवों कि श्रेणी में भी रखते हैं
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विषाणु का पता सबसे पहले सन 1888 में मेयर
(Meyer) ने तम्बाकू कि पतियों से लगाया था l विषाणु कई प्रकार के होते हैं l कुछ
गेंद कि शंकल के होते हैं, तो कुछ छड़ों कि तरह लम्बे l कुछ विषाणु षट्भुजाकार भी
होते हैं l सबसे छोटे विषाणु का आकर तो लगभग एक इंच के दस लाखवें भाग के बराबर होता
हैं l ये पौधों, जानवरों तथा मनुष्यों कि कोशिकाओं में पाए जाते हैं l इन्हीं
कोशिकाओं में ये पैदा होते हैं, वहीं बढ़ते और वहीं से ये रोग पैदा करते हैं l
विषाणु मनुष्य, जानवरों और पेड़-पौधों में
अनेकों बीमारियां फैलाते हैं l अलग-अलग किस्म के विषाणु अलग-अलग प्रकार कि
बीमारियां फैलाते हैं l चेचक, पोलियो, खसरा, पीलिया, आंखों के रोहे आदि ऐसी
बीमारियां हैं, जो विषाणु द्वारा ही फैलती हैं l कुछ विषाणु मस्तिष्क पर हमला करके
बीमारियां फैलाते हैं l लकवा, मस्तिष्क ज्वर व रैबीज नाम कि बीमारियां मनुष्य के
शारीर में विशानुओं के धुस जाने के कारण होती हैं l टमाटर, केला, गन्ना, नींबू, और कपास के पौधों में भी कई बीमारियां विषाणु
पैदा करते हैं l इस प्रकार हम देखते हैं कि विषाणु जीव-जगत के सबसे बड़े दुश्मन हैं
l विषाणु जानवरों और मनुष्यों को ही प्रभावित नहीं करते बल्कि हर प्रकार के प्राणी
जैसे कीड़े, मछली, मेंढक, फूल वाले पौधे, यहां तक कि वैक्टीरिया (Bacteria) तक को
प्रभावित करते हैं l विषाणुओं से कुछ औषधीयां भी बनाई जाती हैं l
अधिकांश विषाणु अधिक
गर्मी और ठंड से नष्ट हो जाते हैं l फिर भी कुछ विषाणुओं को नष्ट करने में क्लोरीन
और नमक का अम्ल (Hydrochloric Acid) भी काम आता है l आजकल विषाणुओं जनित रोगों की
रोकथाम के लिए गंधक से बनी दवाइयां (Sulphur Drugs) और, एन्टीबायोटिक्स का प्रयोग
किया जाता है l ........
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