मानसून शव्द का जन्म अरबी भाषा के मौसिन शव्द
से हुआ है, जिसका अर्थ होता है, वर्ष के विभिन्न समयों में हवाओं की दिशाओं में एक
निश्चित परिवर्तन l वास्तव में गर्मी में महासागर से जमीं की और बहने वाली हवाएं
और सर्दी में जमीं से महासागर को और बहाने वाली हवाएं मानसून हवाएं कहलाती हैं l
गर्मी में महासागरों से धरती की और बहने वाली हवाएं वर्षा की संभावनाएं बताती है
और जाड़ों में धरती से सागरों की ओर बहने वाली हवाएं खुश्की पैदा करने वाली होती
हैं l
दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर से तट की ओर
बहने वाली हवाएं मानसूनी हवाएं कहलाती हैं l इन हवाओं से ही वर्षा की संभावनाओं का
पता लगाया जाता है l मानसून दो प्रकार के होते हैं दक्षिण पश्चिम या ग्रीष्मकालीन
मानसून और उत्तरी पूर्वी या शीतकालीन मानसून l भारत में 90% वर्षा ग्रीष्मकालीन
मानसून से होती है l ये हवाएं मध्य जून में हिंदमहासागर से तट की और बढती हैं और
हिमालय पर्वत श्रृंखला से टकराकर मैदानी भागों में वर्षा करती हैं l इसके विपरीत
सर्दियों में मध्य एशिया तथा उत्तर भारत के क्षेत्रों से बहुत ठंडी, शुष्क तथा
तीव्र हवाएं बाहर की ओर चलने लगती हैं l इन्हें शीतकालीन मानसून अथवा लौटते हुए
मानसून कहा जाता है l भारत के तटीय क्षेत्रों पर ये हवाएं कुछ वर्षा करती हैं l
अब प्रश्न यह है कि मानसून हवाएं तट के मौसम
में किस तरह परिवर्तन लती हैं l यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि बड़े उपमहाद्वीप अपने
आसपास के समुन्द्रों की तुलना में कहीं अधिक तेज़ी से गर्म v ठन्डे हो जाते हैं l
वसंत ऋतू में मध्य v दक्षिण एशिया के क्षेत्र तेज़ी से गर्म होने लगते हैं और
ग्रीष्म ऋतू में दक्षिण हिन्द महासागर और पूर्व में प्रशांत महासागर की तुलना में
ये क्षेत्र बहुत अधिक गर्म हो जाते हैं l अधिक तापमान के कारण वायुमंडल का दबाव कम
हो जाता है और इसलिए समुंद्र से तट की और हवाएं चलने लगती हैं l इसे गर्मी का
मानसून कहा जाता है l शरदकाल की शुरुआत में पूरा एशिया ही तेज़ी से ठंडा होने लगता
है और सर्दियों में तो इस क्षेत्र का तापमान आसपास के महासागरों से कम हो जाता है
l इससे वायुमंडल का दबाव बढ़ जाता है और
इसीलिए सर्दियों में मानसून की हवाएं सूखे तटीय क्षेत्रों से समुंद्र की और जाने
लगती हैं l दक्षिण v पूर्वी एशिया में मानसूनी जलवायु रहती हैं और इसका क्षेत्रफल
काफी बड़ा है l .............
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