पहिए का आविष्कार मानव जाती के लिए एक बहुत
बड़ा वरदान सिद्ध हुआ है l जब शुरू-शुरू में पहिए को भोज निकला गया, तो उसके बाद
मनुष्य उसको प्रयोग में लाने के लिए नै-नै चीजों के निर्माण की बात सोचने लगा l
जिन दिनों सड़क पर भाप से चलने वाली मोटर गाड़ियों की खोज हो रही थी, उन्हीं दिनों
मनुष्य दो पहियों की साइकिल बनाने में जुटा हुआ था l
सबसे पहली साइकिल का निर्माण 1817 में जर्मनी
के बैरन वान ड्राइस (Baron Von Drais) नामक व्यक्ति ने किया था l उसने अपने नाम के
आधार पर इस साइकिल का नाम ड्राइसिन (Drasine) रखा l इसमें दो पहिए थे, जो एक लकड़ी
की छड़ की सहायता से जुड़े हुए थे l साइकिल सवार इसी पर बैटकर आगे बढ़ने के लिए पैरों
से जमीं को धकेलता था l अगले पहिए पर इस साइकिल को मोड़ने के लिए हैंडल लगा था l यह
मशीन काफी महंगी थी, इसलिए लोगों ने इसका नाम चेला घोड़ी (Dandy Mare) रख दिया था l
सन् 1840 में मैकमिलन (Macmillan) नामक व्यक्ति ने इस साइकिल में कुछ सुधार किए l
उनहोंने इस साइकिल के पिछले पहिए में पैडल लगाए l
सन् 1885 में फ्रांस के लाल्लेमेंट
(Lallement) नामक व्यक्ति ने ऐसी साइकिल का निर्माण किया, जिसमें आगे के पहिए में पैडल
लगे हुए थे l लोगों ने इस साइकिल का नाम हड्डी तोड़ (Bone Shaker) रखा क्योंकि इसको
चलाने वाले व्यक्ति को बहुत झटके लगने थे l इसके पहिए लोहे के बने थे l इसी समय
लोगों के मस्तिष्क में यह बात आई कि यदि साइकिल के अगले पहिए का आकार बढा दिया जाए
तो वह अधिक तेज़ी से चलेगी l प्रयोग के रूप में ऐसी साइकिलें बनाई गईं, जिनका अगला
पहिया काफी बड़ा होता था तथा पिछला पहिया काफी छोटा l बड़े पहिए का आकार 5 फुट तक
था, तथा छोटे का लगभग 1 फुट l इसे चलाने में गिरने का बहुत से सुधार हुए l अंततः
सन् 1885 में आधुनिक सुरक्षित साइकिल का विकास हुआ l इस साइकिल में दोनों पहिए
बराबर आकार के थे l चालक के लिए बैठने की सिट थी l इसमें पैडल लगे थे l जैसे-जैसे
समय बीतता गया, इस साइकिल में भी सुधार होते चले गए l आज बड़ी सुन्दर-सुन्दर और
आसानी से चलने वाली साइकिलें बनने लगी हैं l बच्चों के लिए तिन पहिए की साइकिल भी
आज बाजार में आसानी से उपलब्ध है l इसके अतिरिक्त दो पहिए की छोटी-छोटी साइकिलें
भी बच्चों के लिए बनने लगी हैं l साइकिल का प्रयोग अब गावों, कस्बों, सहरों तथा
महानगरों में एक आम बात हो गई है l ..............
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