युद्ध के मैदान में दुश्मन की सेना पर
गोलाबारी करने के लिए जमीन पर चलती-फिरती एक विशाल मशीन को टैंक कहते हैं l यह
लोहे की मोती चादरों से बनी होती है l इसमें एक तोप लगी होती है, जो गोला छोड़ने का
काम करती है l उसमें बहुत से पहिए होते हैं , जो विशेष प्रकार की जंजीरों से ढके
होते हैं l इनकी सहायता से टैंक ऊबर-खाबर राष्तों पर भी तेजी से दौड़ सकता है l
इसको चलाने और गोलाबारी का काम करने के लिए कई सैनिकों की आवश्यकता होती है l क्या
आप जानते है कि टैंक का विकास कैसे हुआ ?
शुरू-शुरू में मनुष्य घोड़ों द्वारा खींचे
जाने वाले रथों पर बैठकर दुश्मन से युद्ध किया करता थल लड़ाई के मैदान में
चलती-फिरती गाड़ियों का इस्तेमाल ईसा से 800 वर्ष पूर्व असीरिया (Assyrians) के
लोगों ने किया था l भाप से चलने वाली सबसे पहली लड़ाकू गाड़ी का पेटैंट सन 1855
में इंगलैंड के जे. कोवान (J. Cowan) ने प्राप्त किया l लेकिन वास्तव में टैंकों
के विकास की शुरुआत 1900 के बाद ही हुई l इसका कारण यह था कि इस समय तक मोटर
गाड़ियों का विकास काफी हो चूका था l सबसे पहला टैंक सन 1900 में इंगलैंड की जोन
फाउलर एण्ड कम्पनी (जॉन Fowler & Company) ने बनाया l यह टैंक भाप से चलता था
l
टैंकों का तेजी से विकास प्रथम महायुद्ध के
दौरान हुआ l सन 1914 में विश्व के कई देश, विशेष रूप से बेल्जियम, फ्रांस और
ब्रिटेन टैंकों के विकास में लगे हुए थे l सन 1915 में फोस्टर (Foster) कम्पनी ने
‘ लिटिल विली ’ (Little Willie) नामक एक छोटा सा टैंक बनाया l 1916 में इसके
विकसित रूप को (Big Willie) का नाम दे दिया गया l सन 1918 में जब प्रथम विश्व
युद्ध समाप्त हुआ, उस समय तक कई देश बहुत सारे टैंक बना चुके थे l उस समय तक
फ़्रांस लगभग 3870 और ब्रिटेन 2636 टैंक बना चूका था l इन टैंकों में आधुनिक टैंक
जैसी लगभग सभी सुविधाएं थीं l इसके पश्चात अनेकों प्रकार के टैंक बनने लगें l
दूसरे महायुद्ध तक टैंकों में काफी सुधार हो गए थे l उनकी रफ्तार बढ़कर 45 मील
प्रति घंटा तक हो गई थी l 1939 और 1944 के बीच जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और
जापान में लाखों की तादाद में टैंकों का निर्माण कर लिया गया था l इन टैंकों का
द्धितीय महायुद्ध में खुलकर इस्तेमाल हुआ l समय के साथ जैसे-जैसे विज्ञान की
प्रगति हुई, वैसे ही वैसे टैंकों का रूप भी आधुनिक होता गया l
सन 1950 में रूस ने एक टैंक बनाया, जो 56 टन
का था l इस पर 122 मिलीमीटर व्यास वाली तोप लगी थी l इसके कवच की मोटाई 10 इंच थी
l यह 600 हार्स पावर के इंजन से चलता था l अब तो इस तरह के टैंक दुनिया के
छोटे-छोटे देशों में भी बनने लगे हैं l
भारत में टैंकों का निर्माण अंग्रेजों के समय
से शुरू हुआ था l पूर्व भारतीय जानकारी के आधार पर टैंक निर्माण का कार्य
स्वंतत्रता के बाद ही शुरू हुआ l पूरी तरह भारत में बनने वाला पहला टैंक विजयंत था
, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में इस्तेमाल किया गया था l .............
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें