मंगलवार, 1 अक्टूबर 2013

Walking on a Difficult Path! मुस्किल राह पर चलना रे !


(इस कविता के माध्यम से मै आपको बताने का प्रयत्न कर रहा हु की जीवन-राह पर चलते रहने में ही जीवन का साथकता है, भाव यह है कि निरंतर कर्म करते रहना ही जीवन का उद्देश्य है, आराम या मुकित मानव-जीवन का उद्देश्य कदापि नहीं, इस कविता से आप को निरंतर कर्म करने की प्रेरणा मिलता रहे .)

मुस्किल राह पर चलना रे !
       गति जीवन का चरम लक्ष्य है !
       विरति, मुक्ति ,सब छलना रे !
       मुस्किल राह पर चलना रे !
‘रण में सहसा मरण महत है ,
पर क्या वह जीवन का ‘सत’ है ?
जीवन तो बलि-राह शाश्वत है ,
अणु-अणु करके गलना रे !
मुस्किल राह पर चलना रे !
       सरल, चिता-सैया पर सोना ,
       कठिन, दुःख सहना-सब खोना ,
मिट जाना पर विकल न होना ,
तिल-तिल करके जलना रे !
मुस्किल राह पर चलना रे !


- श्री नरेश राय 

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