कभी अपनों ने रुलाया तो कभी औरो ने
रुलाया है.
इन आँखों ने हर हाल में जलधार ही बहाया है.
बहूत अफ़सोस होता है अपनी जिन्दगी देख कर,
प्रभु ने क्यों अयसा मेरा तक़दीर बनाया है.
सब कुछ लुटा दी हमने हमसफ़र के नाम पर,
फिर भी लोगों ने आवारा के नाम से मशहूर बनाया है.
आज मुंह मोड़ लेते है जो लोग मुझको देखकर,
एक दिन जिनके खातिर हमने अपना लहू बहाया है.
जिनको कहता था हमदर्द अक्सर ये जमाना,
दिल ने उन्ही हमदर्दों के हाथों जख्म ज्यादा पाया है.
तफ्सिरा मुश्किल है "मान" करना लफ्जे अपनापन का,
क्योंकि हमसफ़र ने ही हमसफ़र का वजूद जला डाला ..
इन आँखों ने हर हाल में जलधार ही बहाया है.
बहूत अफ़सोस होता है अपनी जिन्दगी देख कर,
प्रभु ने क्यों अयसा मेरा तक़दीर बनाया है.
सब कुछ लुटा दी हमने हमसफ़र के नाम पर,
फिर भी लोगों ने आवारा के नाम से मशहूर बनाया है.
आज मुंह मोड़ लेते है जो लोग मुझको देखकर,
एक दिन जिनके खातिर हमने अपना लहू बहाया है.
जिनको कहता था हमदर्द अक्सर ये जमाना,
दिल ने उन्ही हमदर्दों के हाथों जख्म ज्यादा पाया है.
तफ्सिरा मुश्किल है "मान" करना लफ्जे अपनापन का,
क्योंकि हमसफ़र ने ही हमसफ़र का वजूद जला डाला ..
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